राहों को रोशन करे जिनकी ख़ुशबू
जान-जान कर भी जाना नहीं जाता
जो किसी परिभाषा में नहीं समाता,
इक राज है जो आज तक खुल न पाया
है ख़ुद में ख़ुदा पर नज़र कहाँ आता है !
अपना अहसास भी दिलाए जाता है
फिर भी स्वयं को छिपाए जाता है,
कभी यह तो कभी वह बनकर जगत में
दिल को सदियों से लुभाए जाता है !
तू है तो हम हैं सदा इतना यक़ीन
सहज कृपा के दिए दिल में जलते हैं,
राहों को रोशन करे जिनकी ख़ुशबू
हर कदम अकीदत के फूल खिलते हैं !
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 21 मार्च 2023 को साझा की गयी है
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत आभार यशोदा जी!
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जवाब देंहटाएंतू है तो हम हैं सदा इतना यक़ीन
सहज कृपा के दिए दिल में जलते हैं,
राहों को रोशन करे जिनकी ख़ुशबू
हर कदम अकीदत के फूल खिलते हैं !
..... बहुत ही सुंदर भाव। सराहनीय रचना।
स्वागत व आभार जिज्ञासा जी!
हटाएंफूल खिलते रहें. खुशबू देते रहें.
जवाब देंहटाएंअभिनन्दन, अनीता जी.
नवसंवत्सर शुभ हो. नमस्ते.
स्वागत व आभार नूपुर जी!
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