सोमवार, मार्च 6

होली अंतर की उमंग है

होली अंतर की उमंग है


 है प्रतीक वसंत जीवन का

यौवन का इंगित वसंत है,

होली मिश्रण है दोनों का

हँसते जिसमें दिग-दिगंत है !


रस, माधुर्य,  सरसता कोमल

आशा, स्फूर्ति और मादकता,

होली अंतर की उमंग है

अमर प्रेम की परम  गहनता !


जिंदादिल उत्साह दिखाते

साहस  भीतर भर-भर पाते,

होली के स्वागत में ख़ुशियाँ 

पाते उर में और लुटाते !


सुंदर, सुखमय सजे  कल्पना  

रंगों की आपस में ठनती,

मस्तक लाल, कपोल गुलाबी

मोर पंख सी चुनरी बनती !


कण-कण वसुधा का मुस्काए 

फूलों से मन खिल-खिल जाते ,

लुटा रहा सुवास मौसम जो

चकित हुए नासापुट पाते !


हरा-भरा पुलकित  उर अंतर

कण-कण में झलके वह सुंदर,

मधुरिम, मृदुलिम निर्झर सा मन  

कल-कल करे निनाद निरंतर !


मादक पीयुष सी ऋतु  होली

अमराई में कोकिल बोली,

जोश भरा उन्मुक्त हृदय ले

निकली मत्त मुकुल की टोली !


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