सोमवार, अक्तूबर 17

मृत्यु



मृत्यु

(१)
भय से नहीं भाव से देखें
मृत्यु एक अनोखा उत्सव,
जिसने मरना सीख लिया है
जीवन उसका है दीपोत्सव !

दीप जल रहा यदि हो कोई
पाया इक पावन जीवन है,
जलते-जलते नष्ट हो रहा
मृत्यु का यह वरण भी है !

सूना-सूना जीवन लगता
फिर भी हम जीते जाते हैं,
खोया-खोया सा मन लगता
फिर भी इसे जलाते ही हैं !

मृत्यु रूप में वही मिलेगा
यदि उसको ही हम चाहते,
अमृत का फिर द्वार खुलेगा
सत्य, ज्योति हम सभी माँगते !

(२)
जीवन मृत्यु दोनों प्रिय हों
दोनों को ही चखना होगा,
जीवित रहते मरना सीखें
मर कर ही नव जीवन होगा !

जग तो एक बहाना ही है
उस रब से ही मिलना होगा,
बड़े चैन से जीना है तो
मृत्युंजय ही बनना होगा !

मौन में ही जो घट जाती है  
उस घटना से गुजरना होगा,
रास आयेगी यदि मौत तो
जीवन भी यह सोना होगा !

थोड़ा थोड़ा सा परिचय है
दिल में भी उतरना होगा,
गहराई का अंत नहीं है
कहीं तो हमको थमना होगा !  


    

6 टिप्‍पणियां:

  1. थोड़ा थोड़ा सा परिचय है
    दिल में भी उतरना होगा,
    गहराई का अंत नहीं है
    कहीं तो हमको थमना होगा !

    बहुत ही अच्छी लगी आपकी यह कविता।

    सादर

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  2. थोड़ा थोड़ा सा परिचय है
    दिल में भी उतरना होगा,
    गहराई का अंत नहीं है
    कहीं तो हमको थमना होगा !
    बहुत सुंदर भावपूर्ण रचना आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. जीवन मृत्यु दोनों प्रिय हों
    दोनों को ही चखना होगा,
    जीवित रहते मरना सीखें
    मर कर ही नव जीवन होगा !

    बहुत सही विचार .. मृत्यु भी एक उत्सव ही है ...

    जवाब देंहटाएं
  4. भय से नहीं भाव से देखें
    मृत्यु एक अनोखा उत्सव,
    जिसने मरना सीख लिया है
    जीवन उसका है दीपोत्सव !

    सूना-सूना जीवन लगता
    फिर भी हम जीते जाते हैं,
    खोया-खोया सा मन लगता
    फिर भी इसे जलाते ही हैं !


    जीवन मृत्यु दोनों प्रिय हों
    दोनों को ही चखना होगा,
    जीवित रहते मरना सीखें
    मर कर ही नव जीवन होगा !

    जग तो एक बहाना ही है
    उस रब से ही मिलना होगा,
    बड़े चैन से जीना है तो
    मृत्युंजय ही बनना होगा !

    मौन में ही जो घट जाती है
    उस घटना से गुजरना होगा,
    रास आयेगी यदि मौत तो
    जीवन भी यह सोना होगा !

    थोड़ा थोड़ा सा परिचय है
    दिल में भी उतरना होगा,
    गहराई का अंत नहीं है
    कहीं तो हमको थमना होगा !


    किस किस की तारीफ़ करूँ ..............हर पंक्ति एक दिशा की और......मृत्यु को स्वीकार करने पर ही जीवन में आनंद बरस सकता है उससे दर कर या भाग कर नहीं.........और कौन है जो उससे बच पाया है या बच सकता है..........बहुत ही शानदार पोस्ट..........हैट्स ऑफ इसके लिए|

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  5. गहराई का अंत नहीं हैं , वाह ! भावपूर्ण पंक्ति .. इससे जीवन के विस्तार का ज्ञान होता है .. और मृत्यु का परिचय भी

    सुंदर कृति .. !

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