शुक्रवार, अक्तूबर 28

कहाँ मिलेंगे कोमल रिश्ते


कहाँ मिलेंगे कोमल रिश्ते  

दीवाली अभी गयी नहीं है
भाई दूज  है याद दिलाता,
बहना के अंतर में निर्मल
स्नेह की पावन धार बहाता !

पुलक जगी कैसी भीतर जब
फोन की घंटी थी खनकाई,
कानों में भाई-भाभी की
प्रीत भरी जब ध्वनि सुनाई !

हफ्तों पहले भेज दिया था
बहुत सहेज के अक्षत-केसर,
मुहं मीठा करने को बांधा
छोटी सी पुडिया में शक्कर !

सदा सुखी हो प्रियजनों सँग 
यही दुआ मन आज दे रहा,
सहज हृदय की गहराई से
सबके हेतु यही कह रहा !

स्नेह ही है जीवन की थाती
दिल में इसे समाये रहते,
जग में सब कुछ मिल सकता है
कहाँ मिलेंगे कोमल रिश्ते !
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14 टिप्‍पणियां:

  1. स्नेह ही है जीवन की थाती
    दिल में इसे समाये रहते,
    जग में सब कुछ मिल सकता है
    कहाँ मिलेंगे कोमल रिश्ते !
    बहुत सुंदर । धन्यवाद ।

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  2. भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    कविता बहुत अच्छी लगी।

    सादर

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  3. रिश्ते ही हमारी जिंदगी को सहेजते हैं!
    सुन्दर!

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  4. सही कहा वो कोमल रिश्ते जो नेह के धागे में बंधे हैं. कहीं और नहीं मिलते..

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  5. स्नेह ही है जीवन की थाती
    दिल में इसे समाये रहते,
    जग में सब कुछ मिल सकता है
    कहाँ मिलेंगे कोमल रिश्ते !



    कोमल रिश्ते !!
    सचमुच अब स्वप्नवत हैं, संसार कितना कठोर है।

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  6. कहां मिलेंगे कोमल रिश्‍ते
    सच है !!

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  7. आपकी पोस्ट की हलचल आज (29/10/2011को) यहाँ भी है

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  8. वाह बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति|

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  10. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  11. दिवाली पर मन को छूती हुई सुन्दर प्रस्तुति.
    www.belovedlife-santosh.blogspot.com

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