स्वर्ग धरा पे लाए कौन
अवसर नहीं चूकता कोई
नर्क गढ़े चले जाता है,
नर्क का ही अभ्यास हो चला
स्वर्ग धरा पे लाए कौन ?
शक होता है प्यार पे सबको
नफरत को जपते माला से,
अंधकार में रहना भाता
ज्योति यहाँ जलाये कौन ?
डर कायम है भीतर-भीतर
ऊपर चस्पां है मुस्कान,
चुनता है मन असंतोष ही
मधुर गान फिर गाए कौन ?
जिसने यह सच जान लिए हैं
वही बनेगा भागीरथ अब,
धरती पर सुर सरि बह निकले
सहज प्रेम ही बरसेगा तब !
नरक बनाने में जुटे, सारे आमो-ख़ास |
जवाब देंहटाएंनोच-नोच के खा रहे, खोकर होश-हवाश ||
बधाई ||
बढ़िया प्रस्तुति ||
नरक बनाने में जुटे, सारे आमो-ख़ास |
जवाब देंहटाएंनोच-नोच के खा रहे, खोकर होश-हवाश |
खोकर होश-हवाश, हवश के भूखे बन्दे |
ढोते खुद की लाश, रहे गन्दे के गन्दे |
लाएगा के स्वर्ग, स्वर्ग के जानो माने |
सन्तति का आधार, लगे क्यूँ नरक बनाने ||
http://terahsatrah.blogspot.com/
बहुत ही अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंसादर
दोहरी ज़िन्दगी से बाहर निकल कर हमें एक स्वच्छ और निर्भय जीवन जीने का आनन्द लेना चाहिए।
जवाब देंहटाएंज्योति से ज्योति जगती है पर ज्योति जगाये कौन ..? बहुत सुन्दर लिखा है आपने.
जवाब देंहटाएंशक होता है प्यार पे सबको
जवाब देंहटाएंनफरत को जपते माला से,
अंधकार में रहना भाता
ज्योति यहाँ जलाये कौन ?
बहुत खूब.....
धन्य-धन्य यह मंच है, धन्य टिप्पणीकार |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति आप की, चर्चा में इस बार |
सोमवार चर्चा-मंच
http://charchamanch.blogspot.com/
ज्योति यहाँ जलाए कौन....
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत...
सादर बधाई....
Any writer that takes the time to research a subject as thoroughly as you have deserves to be commended. This article is appealing and very well-written. The first two sentences encouraged me to read more.
जवाब देंहटाएंFrom Computer Addict