देखो ! कोई ताक रहा है
सम्मुख आने से घबराए
आहट भर से झट छुप जाए,
उर के भीतर से ही देखे
चुपके-चुपके झांक रहा है !
देखो ! कोई ताक रहा है
पर्दे के पीछे वह रहता
सारी नादानी को सहता,
पल-पल छिन-छिन गुपचुप निशदिन
चलता उसका चाक रहा है !
देखो ! कोई ताक रहा है
लुका छिपी का खेल चल रहा
यूँ हर पल ही मेल हो रहा,
दर्पण यह मन बन ना जाए
तब तक जीवन खाक रहा है !
देखो ! कोई ताक रहा है
दृश्य वही द्रष्टा भी वह है
फिर भी पटल मध्य में डाला,
कैसा खेल रचाया माधव
अनुपम, अद्भुत आंक रहा है !
देखो ! कोई ताक रहा है
प्रेम धार जब दिल में बहती
तब सारे पर्दे गिर जाते,
प्रकट हुआ वह छिप न सके तब
प्रेमी-प्रियतम आप रहा है !
देखो ! कोई ताक रहा है
जब प्रियतम भी खो जाता है
शेष प्रेम ही प्रेम रहे उर,
न प्याला न मधु ही बचता, बस
मदहोशी का आक रहा है !
देखो ! कोई ताक रहा है
जैसे परम-पिता के दर्शन, करे आत्मा पावन ।
जवाब देंहटाएंवैसे लुकाछिपी शिशु खेले, माँ के संग मनभावन ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
bahut sunder man ke bhaav ...
जवाब देंहटाएंabhar Anita ji ...
जब प्रियतम भी खो जाता है
जवाब देंहटाएंप्रेम ही प्रेम बचा रहता
न प्याला न मधु ही बचे
बस मदहोशी का आक रहा है
देखो कोई ताक रहा है
मुझमे कोई झांक रहा है…………शानदार प्रस्तुति।
बहुत हि बेहतरीन...रचना
जवाब देंहटाएंप्रेम धार जब दिल में बहती
जवाब देंहटाएंतब सारे पर्दे गिर जाते
प्रकट हुआ वह छिप न सके तब
प्रेमी-प्रियतम आप रहा है
देखो कोई ताक रहा है
bahut sundar rachna anita ji --------aabhar
वाह!!!!!
जवाब देंहटाएंदृश्य वही द्रष्टा भी वह है
फिर भी पर्दा मध्य में डाला
कैसा खेल रचाया माधव
अनुपम, अद्भुत पाक रहा है
बहुत बहुत खूबसूरत रचना अनीता जी...
सचमुच लाजवाब...
पर्दे के पीछे वह रहता
जवाब देंहटाएंसारी नादानी को सहता
पल-पल छिन-छिन गुपचुप निशदिन
चलता उसका चाक रहा है
देखो कोई ताक रहा है
....सच है..उससे क्या छुपा है...बहुत सुंदर रचना..
ख़ुदी से बेखुदी तक ले जाती है आपकी सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और बहुत कुछ लिख दिया आपने..... सार्थक अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंप्रेम धार जब दिल में बहती
जवाब देंहटाएंतब सारे पर्दे गिर जाते
प्रकट हुआ वह छिप न सके तब
प्रेमी-प्रियतम आप रहा है
देखो कोई ताक रहा है....
सारे शब्द छिन गए जैसे......
क्या कहूँ.....!!!
बहुत ही बढि़या।
जवाब देंहटाएंजब प्रियतम भी खो जाता है
जवाब देंहटाएंप्रेम ही प्रेम बचा रहता
न प्याला न मधु ही बचे
बस मदहोशी का आक रहा है
बहुत ही सुन्दर है कविता.....शानदार, लाजवाब।
बहूत हि सुंदर रचना है
जवाब देंहटाएंबहूत बढीया प्रस्तुती...
आप सभी सुधी पाठकों का स्वागत व आभार!
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