जुड़ें रहें जो मूल से
उस दिन एक
वृक्ष को बतियाते देखा
वही गीता वाला
पीपल का वह विशाल वृक्ष !
जिसका मूल है ऊपर, शाखाएँ नीचें
तना वृद्ध था, मुखिया जो
ठहरा घर का !
कुछ शाखाएँ पहली पीढ़ी
उम्र हो चली, सो संयत हैं
नई-नई अभी कोमल हैं
नाचा करतीं हर झोंके संग
धीरे-धीरे ही सीखोगी, कहा वृद्ध ने
जब मौसम की मार सहोगी
कभी धूप, बौछारें जल की
सूनी शामें जब पतझड़ की
तब जानोगी, क्या है जीवन ?
पत्ता-पत्ता छिन जायेगा
गहन शीत में तन काँपेगा,
खिलखिल हँस दी कोमल टहनी
जब तक साथ तुम्हारा बाबा
हम जीवित है
तुमसे पोषण मिलता
हमको, सब सह लेंगे
किन्तु हुईं जो पृथक जानना
मिटना ही उनकी नियति है
जुड़ा रहा जो मूल से उसको
कैसे कोई हिला सकेगा
अपना योगदान देकर वह जग को
हँसते-हँसते विदा कहेगा....!
सुन्दर कथ्य!
जवाब देंहटाएंजो जुड़ा रहेगा... वो बचा रहेगा!
बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंपरेड के माध्यम से जीवन का सार ... परिवार का महत्त्व साझा किया है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव ..
जुड़ा रहा जो मूल से उसको
जवाब देंहटाएंकैसे कोई हिला सकेगा
अपना योगदान देकर वह जग को
हँसते-हँसते विदा कहेगा....!
शाश्वत सत्य है यही....
बहुत खुबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंlatest post,नेताजी कहीन है।
latest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
कल 01/08/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
वाह बहुत सुंदर बात ....!!सुंदर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर हो।
जवाब देंहटाएंTum To Yahin Kahin Baba Mere Sath -Sadhna Sargam-Excellent BK Meditation song.
by Bharat Desai3 years ago28,284 views
Sadhna Sargam Sings This Beautiful Meditation Song For Brahma Kumaris. Pl. Listen, Enjoy & Feel Close To The Supreme Nirakari
http://www.youtube.com/watch?v=pCuvuVKDwCM
जवाब देंहटाएंजुड़ा रहा जो मूल से उसको
जवाब देंहटाएंकैसे कोई हिला सकेगा.
- बहुत सार्थक कथन !
जब मौसम की मार सहोगी
जवाब देंहटाएंकभी धूप, बौछारें जल की
सूनी शामें जब पतझड़ की
तब जानोगी, क्या है जीवन ?
गीता की तरह जीवन का सार समेटे अद्भुत पोस्त…हैट्स ऑफ इसके लिए |
हमने भी अपना योगदान देना है ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें आपको !
bahut badhiya sandesh .......
जवाब देंहटाएंयही तो मानवीय विराट वटवृक्ष वर्ल्ड ह्यूमेन ट्री है। सृष्टि के आदि मध्य और अंत का ज्ञान छिपाए क्योंकि इस का बीज रूप स्वयम परमात्मा है।
जवाब देंहटाएंआप सभी सुधी जनों का स्वागत व आभार !
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