अग्नि एक संकल्प की जगे
जाना है दूर अति सुदूर
पावों में पड़ी हैं बेड़ियाँ ,
कांटे बिखरे कदम-कदम पर
पुकारतीं किन्तु रण भेरियां !
एक युद्ध लड़ा जाना है
यात्रा इक आमन्त्रण देती,
आरोहण उच्च आकांक्षा का
ज्योति एक निमन्त्रण देती !
एक लक्ष्य साधना है पावन
‘कुछ’ तो अनावृत करना है,
नन्हे-नन्हे स्फुलिंगों से
मन का अंधकार भरना है !
चमकीले रंगो वाले कुछ
जगत अनोखे कहीं छिपे हैं,
आओ उनको ढूँढ़ निकालें
छाया जिनकी यहीं कहीं है !
दस्यु छिपे हैं अंधकार में
छिप कर वार किया करते,
निर्मल मन के शीतल जल में
विष की धार भरा करते !
अग्नि एक संकल्प की जगे
ज्योति प्रखर रोशन सब कर दे
एक ऊष्मा अमर प्रेम की
प्रज्ज्वलित कण-कण नभ तक कर दे
इस युद्ध का शंखनाद भीतर तक गूंजता है.......बहुत ही सुन्दर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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दस्यु छिपे हैं अंधकार में
जवाब देंहटाएंछिप कर वार किया करते,
निर्मल मन के शीतल जल में
विष की धार भरा करते !
यही दस्यु सर्व व्यापी माया के एजेंट हैं .लोग ईश्वर को सर्वयापी समझते हैं वह तो शान्ति धाम (परम धाम ,परलोक ,ब्रह्म लोक का रहने वाला है ,मुझ आत्मा का मूल वतन भी वाही घर है )श्री में आने से मैं जीवनबंध में आ गईं हूँ .
अग्नि एक संकल्प की जगे
जवाब देंहटाएंज्योति प्रखर रोशन सब कर दे
एक ऊष्मा अमर प्रेम की
प्रज्ज्वलित कण-कण नभ तक कर दे
बहुत ही सुन्दर
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तेरी ज़रूरत है !!
अनुपम..अनुपम..अनुपम..
जवाब देंहटाएंआपकी आशाएं पूर्ण हों ..
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं !
चमकीले रंगो वाले कुछ
जवाब देंहटाएंजगत अनोखे कहीं छिपे हैं,
वाह!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंअग्नि एक संकल्प की जगे
जवाब देंहटाएंज्योति प्रखर रोशन सब कर दे
एक ऊष्मा अमर प्रेम की
प्रज्ज्वलित कण-कण नभ तक कर दे ..
आमीन ... इस ओज़स्वी रचना को नमन है मेरा ... ह्रदय में मुक्त भाव जगाता काव्य ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
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