सोमवार, सितंबर 3

ऐसा दीवाना है कान्हा

ऐसा दीवाना है कान्हा 

आँसू बनकर जो बहता है 
मौन रहे पर कुछ कहता है
किसी नाम से उसे पुकारो
उपालम्भ जो सब सहता है ! 

  हो अनजाना कोई उससे 
तब भी वह रग-रग पहचाने
इक दिन तो पथ पर आएगा 
कब तक कोई करे बहाने! 

जब तक उसकी ओर न देखो 
नेह सँदेसे भेजा करता
कभी हँसा कर कभी रुलाकर 
अपनी याद दिलाया करता ! 

ऐसा दीवाना है कान्हा 
प्रीत पाश में ऐसा जकड़े
हाथ छुड़ा तब जाता लगता 
जब कोई खुद से ही झगड़े !

अँधियारी हो रात अमावस 
हीरे मोती सा वह दमके
काली यमुना उफन रही हो 
उजियारा बनकर वह चमके !


2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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