बरबस प्यार जगाये कोई
बरबस प्यार जगाये कोई
जीवन बँटता ही जाता है
पल-पल याद दिलाये कोई,
किसकी राह खड़े ताकते
मधुर पुकार लगाये कोई !
अपनी-अपनी क़िस्मत ले कर
कोकिल और काग गाते हैं,
दोनों के ही भीतर बसता
बरबस प्यार जगाये कोई !
नदिया दौड़ी जाती देखो
सागर से मिलने को आतुर,
उर मतवाला मिटना चाहे
एक पुकार लगाये कोई !
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" सोमवार 12 जुलाई 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार दिग्विजय जी !
हटाएंबहुत सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसमुंदर के खारेपन में भी कुछ तो बात है जो नदियों का मीठापन भी सागर से मिलने को आतुर होती।
सही है रूपा जी, सागर का खारापन अनंत जीवन धारण करता है
हटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार !
हटाएं"...
जवाब देंहटाएंजीवन बँटता ही जाता है
पल-पल याद दिलाये कोई
..."
कई दफा जीवन में इसकी आवश्यकता पड़ती है।
सही कह रहे हैं आप, स्वागत व आभार !
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