शुक्रवार, सितंबर 10

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी

नन्हा गणेशा याद आ रहा
मन ही मन, मन मुस्करा रहा !

नाम अनेकों कृत्य अनगिनत
गणपति के आयाम अनगिनत !

सुख-दुख में सब उसे पुकारें
प्रथम वन्दन नाम उच्चारें !

चिठ्ठी हो या पोथी पत्रा
लिखते सभी श्री गणेशाया !

रिद्धि सिद्धि के हैं वरदाता
विद्या दायक बुद्धि प्रदाता !

मूलाधार के देव गणपति
महेश्वरी  नंदन गणाधिपति !

लम्बोदर हेरम्ब विनायक
विघ्नहर्ता सुखद फलदायक !

आओ मिलकर उसे रिझाएँ
भीतर निज तुष्टि-पुष्टि पाएँ !

अनिता निहालानी
१० सितम्बर २०१०

3 टिप्‍पणियां:

  1. ॐ श्री गणेशाय नमः


    आदरणीया अनिता निहालानी जी

    नमस्कार !
    बहुत अच्छी काव्य रचना द्वारा गणेश जी को रिझाया है आपने ! आभार और बधाई !
    मैं भी आपके साथ मिल कर गा रहा हूं …
    आओ मिलकर उसे रिझाएँ
    भीतर तुष्टि-पुष्टि पाएँ !

    सादर …
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. मृदुलाजी व राजेन्द्र जी , आभार, अन्य कवितायें भी पढ़ें.

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