बुधवार, नवंबर 24

मिठाई मिलन समारोह




प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
पिछले दिनों घर में परिवार के सभी लोग इक्कट्ठे हुए, जब एक कुनबा एक साथ होता है तो कई नई यादें मनों में घर कर लेती हैं भविष्य में आने वाली पीढियों तक वह यादें किसी न किसी तरह पहुँच जाती हैं. कुछ यादें मैंने इस कविता में उतारी हैं, इसे पढ़कर शायद आपको भी अपने परिवार के मिलन की कोई  स्मृति हो आये...
मिठाई मिलन समारोह

कई बरसों के बाद मिले थे
दिल सभी के बहुत खिले थे,
इक छत के नीचे वे चौदह
और बातों के सिलसिले थे !

दिन सुहाने, माह नवम्बर
न गर्मी न सर्दी का डर,
कारण पापा की बीमारी
लेकिन खुश वे, थे बेहतर !

वाराणसी से डिब्रूगढ़ का
राजधानी में सफर चला,
मुम्बई से उड़े गगन में
फिर असम का दर्श मिला I

सँग लाए वे भेटें अनुपम
मिठाईयों का पूरा भंडार,
दीवाली के बाद मिले थे
मीठा मीठा था व्यवहार !

मलाई गिलौरी, गोंद के लड्डू
बूंदी चूर, बरफियाँ अनगिन
मेवों, सेव से बने व्यंजन
खाए मिलजुल सबने हरदिन !

वजन बढ़ा या घटा औंस भर
नापा करते बारी बारी,
अभी नाश्ता खत्म हुआ न
 दोपहरी की हो तैयारी I

फिर बारी भ्रमण की आती
दो कारों में सभी समाते
रोज नापते असम की धरती
चाय बागानों में जाते I

नदी किनारे, पुल के ऊपर
पार्क के झूले मन मोहते
पंछी, धूप, हवा, पानी सँग
हरी घास पर सभी झूमते !

ओ सी एस में एक अजूबा
पानी में थी आग लगी,
देख सभी रह गए अचम्भित
साँसें  थीं रह गयी रुकीं !

बच्चों ने भी लीं तस्वीरें
मन में यादें भरीं सुनहरी
दो सौ तेरह में सोये सब
दो सौ सात में कटी दुपहरी I

मिल उनो व कैरम खेला
झूले में भी पींग बढाई
पौधों को नहलाया जल से
ग्रुप में फोटो खूब खिचाई I

मोनोपली के राउंड चले
फेसबुक पर सभी गए,
एक जगत जो यह दिखता
दूजा है स्क्रीन के पीछे I

मेलजोल से हर दिन बीता
खुशियाँ जैसे झलक रहीं थीं,
योग, प्राणायाम के बल पे
सेहत सबकी ठीक रही थी I

ऐसा एक मिलन था अद्भुत
कविता में जो व्यक्त हुआ,
और दिलों में जो अंकित है
बड़े प्रेम से खुदा हुआ !

इसी तरह का प्यार सदा ही
सबके मन में बसा रहे
पापा मा की मिलें दुआएं
जीवन सुंदर सदा रहे !!

अनिता निहालानी
२४ नवम्बर २०१०
   




4 टिप्‍पणियां:

  1. मिठाई मिलन समारोह
    .........ढेर सारी शुभकामनायें.

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  2. kavita itni meethi bhi hoti hai aaj pata chala; kavita itne bhavon ko ek sath samet sakti hai aaj pata chala .bahut achchhi bhavabhivayakti ! shukamnaye .

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  3. अनीता जी,

    बहुत सुन्दर अपने अनुभवों को किस सुन्दरता से आपने कविता में ढाल दिया है ...बहुत सुन्दर|

    ईश्वर करें आपका परिवार के साथ ये स्नेह बना रहे....खुशियाँ यूँ ही मिलती रहें....

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  4. संजय जी ,शिखाजी और इमरान जी आप सभी को भी बहुत बहुत शुभकामनाएँ! कविता मीठी भी हो सकती है और रसपूर्ण भी, परम की तरह जिसे कहा गया है, रसो वै सः!

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