सोमवार, अक्तूबर 3

स्वर्ग धरा पे लाए कौन


स्वर्ग धरा पे लाए कौन

अवसर नहीं चूकता कोई
नर्क गढ़े चले जाता है,
नर्क का ही अभ्यास हो चला
स्वर्ग धरा पे लाए कौन ?

शक होता है प्यार पे सबको
नफरत को जपते माला से,
अंधकार में रहना भाता
ज्योति यहाँ जलाये कौन ?

डर कायम है भीतर-भीतर
ऊपर चस्पां है मुस्कान,
चुनता है मन असंतोष ही
मधुर गान फिर गाए कौन ?

जिसने यह सच जान लिए हैं
वही बनेगा भागीरथ अब,
धरती पर सुर सरि बह निकले
सहज प्रेम ही बरसेगा तब ! 


9 टिप्‍पणियां:

  1. नरक बनाने में जुटे, सारे आमो-ख़ास |
    नोच-नोच के खा रहे, खोकर होश-हवाश ||

    बधाई ||
    बढ़िया प्रस्तुति ||

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  2. नरक बनाने में जुटे, सारे आमो-ख़ास |

    नोच-नोच के खा रहे, खोकर होश-हवाश |

    खोकर होश-हवाश, हवश के भूखे बन्दे |

    ढोते खुद की लाश, रहे गन्दे के गन्दे |

    लाएगा के स्वर्ग, स्वर्ग के जानो माने |

    सन्तति का आधार, लगे क्यूँ नरक बनाने ||
    http://terahsatrah.blogspot.com/

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  3. दोहरी ज़िन्दगी से बाहर निकल कर हमें एक स्वच्छ और निर्भय जीवन जीने का आनन्द लेना चाहिए।

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  4. ज्योति से ज्योति जगती है पर ज्योति जगाये कौन ..? बहुत सुन्दर लिखा है आपने.

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  5. शक होता है प्यार पे सबको
    नफरत को जपते माला से,
    अंधकार में रहना भाता
    ज्योति यहाँ जलाये कौन ?

    बहुत खूब.....

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  6. धन्य-धन्य यह मंच है, धन्य टिप्पणीकार |

    सुन्दर प्रस्तुति आप की, चर्चा में इस बार |

    सोमवार चर्चा-मंच

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  7. ज्योति यहाँ जलाए कौन....
    सुन्दर गीत...
    सादर बधाई....

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  8. Any writer that takes the time to research a subject as thoroughly as you have deserves to be commended. This article is appealing and very well-written. The first two sentences encouraged me to read more.

    From Computer Addict

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