रविवार, दिसंबर 11

जाग गया है हिंदुस्तान


जाग गया है हिंदुस्तान

सोये हुए जन-जन में अन्ना, फूंक चेतना की चिंगारी
आत्मशक्ति के बल पर तुमने, भारत की तस्वीर संवारी ! 

संसद में हो चर्चा अविरत, भ्रष्टाचार मिटाना होगा
भ्रमित न होगी अब जनता, लोकपाल बिठाना होगा ! 

कोई तो हो ऐसा जिसको, पीड़ित जन फरियाद कर सकें
रक्षक जो भक्षक बन बैठे, उनसे वे निजात पा सकें ! 

न्यायालय में न्याय कहाँ है, पैसे में बिकता कानून
कॉलेजों में सीट नहीं हैं, निगल गये भारी डोनेशन ! 

राशन हो या गैस कनेक्शन, सब में गोलमाल चलता है
ऊपर से नीचे तक देखें, भ्रष्टाचार यहाँ पलता है ! 

नेता भी बिकते देखे हैं, ऑफिसर बेचें ईमान
घोटाले पर घोटाला है, नई पीढ़ी होती हैरान ! 

कोई ऐसा क्षेत्र बचा न, जहां स्वच्छ काम होता है  
महँगाई तो बढती जाती, सबका बुरा हाल होता है ! 

अन्ना ने मशाल जलाई, जाग गया है हिंदुस्तान
झांक के अपने भीतर देखे, बने आदमी हर इंसान ! 

थोड़े से सुख सुविधा खातिर, गिरवी न रखेंगे आत्मा
नई पीढ़ी यह सबक ले रही, अनशन पर बैठा महात्मा ! 

अन्ना का यह तप अनुपम है, देश का होगा नव निर्माण
रोके न रुकेगा यह क्रम, करवट लेता हिंदुस्तान !

2 टिप्‍पणियां:

  1. काश! आपकी सुन्दर मनोकामना शीघ्र ही पूरी हो.
    अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार आपका.

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  2. बहुत सुन्दर और सामायिक प्रस्तुति|

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