ऋतु आयी मृदु भावों वाली
धूप, हवा संग एक हो सकें
नदिया, पिकनिक, फूलों वाली
ऋतु आयी मृदु भावों वाली !
हल्की-हल्की ठंड रेशमी
नहीं ताप अब रवि बरसाता,
बादल लौट गये निज धाम
नीला चंदोवा हर्षाता !
धरा तृप्त है वारिद पीकर
कलियों, तितली, भंवरों वाली
ऋतु आयी मृदु भावों वाली !
मदिर गंध ले बही समीरा
सुरभि बिखरने को है आतुर,
जीवन अपना राज खोलता
चले भूमि में सोने दादुर !
थिर गम्भीर हुई जलवायु
कण कण को हर्षाने वाली
ऋतु आयी मृदु भावों वाली !
कल 02/नवंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
प्रकृति का सुंदर वर्णन ....
जवाब देंहटाएंबहुत हि सुंदर , अनीता जी धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 3 . 11 . 2014 दिन सोमवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
Lajawaab prastuti prakrti ki umda rachna!!
जवाब देंहटाएंयशवंत जी, कुमकुम जी, आशीष जी व लेखिका जी, आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंजो एहसास खोते से चले गये वक्त की भागदौड़ मे
जवाब देंहटाएंउनका एहसास करवाती रचना ।