नव वसंत की नई भोर का
तन-मन में जागी हिलोर का
उल्लसित हो करें स्वागत !
नयी प्रीत हो नयी रीत हो
नव ऊर्जा से रचा गीत हो,
नया जोश हो नव उमंग हो
हर दिल में छायी तरंग हो !
मधुमास के नए प्रातः का
नए तराने नयी बात का
हर्षित हो करें स्वागत !
नए इरादे नए कायदे
इस वसंत में नए वायदे,
नए रास्ते नयी मंजिलें
नव ऋतु में नए सिलसिले !
नव बहार की नई सुबह का
नई मित्रता नई सुलह का
प्रफ्फुलित हो करें स्वागत !
अनिता निहालानी
४ फरवरी २०११
वाह बहुत अच्छी कविता है. और तस्वीर भी. मन-मस्तिष्क में वसंत उमड़ आया. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंअनीता जी,
जवाब देंहटाएंवसंत का खुबसूरत अंदाज़ में स्वागत किया है आपने.....शुभकामनायें|
वाह अनिता जी वाह , बहुत खूबसूरत और भावुकता पूर्ण कोमल अहसास
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