शुक्रवार, जुलाई 26

वह क्षण

वह क्षण

दूधिया प्रकाश सी.. झक सफेद
अधरों से छलकी
नयनों से बरसी
तुम्हारी हँसी जिस क्षण
थम गया है वह क्षण वहीं !

तुम्हें याद है
कुनमुनी आँखों से
खिड़की से झांकते
बाल सूर्य को तक
नूतन प्रकाश में
डूबे उतराए संग-संग क्षण भर
वहीं खड़ा है वह क्षण अब भी !

हजारों बल्बों का प्रकाश
 सिमट आया था
तुम्हारी आँखों में
खिल गये थे हजारों
गुलाब अधरों पर
मुझे याद है
क्योकि जिए थे हजारों जीवन
 उस एक क्षण में

वह कहीं नहीं गया है !

13 टिप्‍पणियां:

  1. हजारों बल्बों का प्रकाश
    सिमट आया था
    तुम्हारी आँखों में
    खिल गये थे हजारों
    गुलाब अधरों पर
    मुझे याद है
    क्योकि जिए थे हजारों जीवन
    उस एक क्षण में
    bahut sundar bhavabhivyakti anita ji .

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  2. एक क्षण में सदियाँ जी जाना...!
    अद्भुत!

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  3. उत्तर
    1. शालिनी जी, देवेन्द्र जी व अनुपमा जी स्वागत व आभार!

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  4. कुछ पलों की यादें अमिट छाप छोड़ जातीं हैं ....!!बहुत सुंदर ....!!

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  5. प्रांजलता एक पावस उजास और आस लिए रहतीं हैं आपकी कवितायें प्रकृति का लास भी विलास भी। ॐ शान्ति।

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  6. एक क्षण भी कितना कीमती हो जाता है जीवन में.......बहुत सुन्दर।

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  7. वो कीमती क्षण बहुत ही अनमोल है पुरे जीवन में ...........

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  8. ऐसे एक क्षण पर युगों का जीवन न्यौछावर !

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    1. कालीपद जी, वीरू भाई, इमरान, संध्या जी व प्रतिभा जी आप सभी का स्वागत व आभार!

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  9. यशोदा जी, बहुत बहुत आभार आपका..

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  10. वन्दना जी, बहुत बहुत आभार !

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