मंगलवार, अगस्त 11

जीवन होगा टिका पुनःअमिट मुस्कानों पर

 जीवन होगा टिका पुनःअमिट मुस्कानों पर 

  

अपनों के जब घाव लगे हों कोमल मन पर 

टीस उठा करती हो फिर उनमें रह-रह  कर,

कैसे कोई करे भरोसा तब इस जग पर 

खुद से खुद बातें करता है मन यह अक्सर !

 

नहीं अकारण होता कुछ भी इस दुनिया में 

धीमे से फिर मुस्का देता यही सोचकर, 

कोई अपना ही हिसाब था हुआ पूर्ण है  

अब क्या रोना उन बीती बातों को लेकर !

 

मिलीं नेमतें नजर रहे यदि केवल उन पर 

कितने अपने साथ चल रहे जीवन पथ पर, 

चलना होगा मन में ले विश्वास उन्हीं पर 

जीवन होगा टिका पुनःअमिट मुस्कानों पर !


5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर।
    श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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  3. आशा और उम्मीद की किरण रहनी चाहिये ...
    यही सत्य है और इसको लेकर चलना ही जीवन ...

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