बुधवार, अगस्त 26

ज्योतिर्मय वह स्रोत ज्योति का

ज्योतिर्मय वह स्रोत ज्योति का

 

रवि सौर मंडल की आत्मा  

आदित्य से हर रूप सजता,

सर्वप्रेरक, विश्व प्रकाशक 

सप्तवर्णी, नेत्र शंकर का !

 

सूर्य देव हैं स्रोत अग्नि के 

जीवन दाता वसुंधरा के, 

द्युलोक में गमनशील हैं 

नयनों में बसते प्राणी के !

 

अंधकार की काली छाया 

छँट जाती सविता प्रकाश में, 

पल भर में जो दृश्य बदल दे 

दिवसेश्वर नित आकाश के !

 

अग्नि देह को जीवित रखती 

वसुधा को भी गतिमय रखती, 

बड़वानल सागर में रहकर 

वैश्वानर जीव में बसती !

 

महाभूत है महादेव का 

ज्योतिर्मय वह स्रोत ज्योति का, 

तपस से ऋषिगण सृष्टि करते 

प्रलय तीव्र ज्वाल से घटता !

 

अग्नि शिखा नित ऊपर बढ़ती 

मार्ग प्रशस्त करे मानव का, 

पावक परम पावन शक्ति है

नष्ट करे हर दोष सभी का ! 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27.8.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
    धन्यवाद
    दिलबागसिंह विर्क

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