शनिवार, अगस्त 27

वीर शहीदों के नाम




वीर शहीदों के नाम 

 त्याग दिया हर सुख जीवन का

मृत्यू को भी गले लगाया,

कैसे धुर दीवाने थे वे 

शुभ देश प्रेम को अपनाया !


भारत माता है गुलाम क्यों 

यह दंश उन्हें अति चुभता था, 

ब्रिटिशों की सह रही  दासता

दर्द बहुत ही यह खलता था ! 


उन बलिदानों की गाथा अब 

हर भारतवासी जन जाने, 

वे जो सच्चे सेनानी थे 

उनकी नव कीमत पहचाने ! 


अनगिन बाधाएँ सहकर भी  

भारत हित वे डटे रहे थे , 

नत हो जाता है हर मस्तक 

उनकी  खातिर जो झुके नहीं ! 


वह शौर्य, तेज, पराक्रमी दिल 

वह अमर भाव बलिदानी का, 

देश आज आजाद हुआ है 

है कृतज्ञ उनकी वाणी का !


भारतमाँ पर त्रस्त आज भी 

भूख, गरीबी,व  अज्ञान से,

अस्वच्छता, बेकारी और 

पाखंड, असत्य, अभिमान से ! 


उन वीरों की हर क़ुरबानी 

व्यर्थ नहीं अब जाने पाए, 

वसुंधरा  का यह महादेश  

पुनः विस्मृत निज  गौरव पाए !


11 टिप्‍पणियां:

  1. काश । इस पर सब मन से विचार करें । प्रेरक रचना ।

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    1. स्वागत व आभार संगीता जी, यकीनन आज देश का मिज़ाज बदल रहा है

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-8-22} को साथ नहीं है कुछ भी जाना" (चर्चा अंक 4535) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  3. देश को समर्पित सार्थक सृजन। शुभकामनाएँ।

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