आज़ादी का अमृत महोत्सव
सप्त दशकों व पाँच वर्ष का
सफ़र तय किया है भारत ने ?
आदि सनातन संस्कृति अनुपम
राह दिखायी जग को जिसने !
जूझा कभी ग़ुलामी से जो
बन सामर्थ्यवान बलशाली,
राष्ट्र स्मरण करता, जिन्होंने
आज़ादी मशाल थी बाली !
वेदों की ऋचाएँ गूंजी
श्रद्धा, ज्ञान, योग का बल है,
भारत भाल गर्व से दमके
आदि काल से एक राष्ट्र है !
कालजयी परंपराएँ हैं
विविधताओं में है एकत्व,
सर्व में छुपा ब्रह्म देखता
धर्म उदार भारत का तत्व !
अति समृद्ध इतिहास मनोरम
साहित्य बहे विमल धार सा,
गंगा, यमुना कावेरी ने,
इस भू को माँ बन संवारा !
वनवासी, जनजाति संस्कृति
भारत के हर प्रांत को जोड़े,
अंतर्निहित एकता पोषक
कैसे कोई इसको तोड़े !
वेदों से यह नाम मिला है
अजर शाश्वत शुभ ज्योति स्वरूप,
सह अस्तित्त्व सिखाता भारत
जाने भेद यह छिपा अरूप !
अपने विषम काल में बहुत-कुछ सीखा भारत ने ,काँटे से काँटा निकालने का कौशल भी आ ही जएगा.
जवाब देंहटाएंयकीनन, आपका स्वागत है प्रतिभा जी!
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