गुरुवार, अगस्त 4

आज़ादी का अमृत महोत्सव

आज़ादी का अमृत महोत्सव 


सप्त  दशकों व पाँच वर्ष का  

सफ़र तय किया है भारत ने ? 

आदि सनातन संस्कृति अनुपम 

राह दिखायी जग को जिसने !


जूझा कभी ग़ुलामी से जो  

बन सामर्थ्यवान बलशाली, 

राष्ट्र स्मरण करता, जिन्होंने 

आज़ादी मशाल थी बाली !


वेदों की ऋचाएँ  गूंजी 

श्रद्धा, ज्ञान, योग  का  बल है, 

भारत भाल गर्व से दमके 

आदि काल से एक राष्ट्र है !


कालजयी परंपराएँ हैं 

विविधताओं में है एकत्व, 

सर्व में छुपा  ब्रह्म  देखता 

धर्म उदार भारत का तत्व !


अति समृद्ध इतिहास मनोरम 

साहित्य बहे विमल धार सा, 

गंगा, यमुना कावेरी ने,  

 इस भू को माँ बन संवारा !


वनवासी, जनजाति संस्कृति 

भारत के हर प्रांत को जोड़े, 

अंतर्निहित एकता पोषक 

कैसे कोई इसको तोड़े !


वेदों से यह नाम मिला है 

अजर  शाश्वत शुभ ज्योति स्वरूप, 

सह अस्तित्त्व सिखाता भारत 

जाने भेद यह छिपा अरूप !


2 टिप्‍पणियां:

  1. अपने विषम काल में बहुत-कुछ सीखा भारत ने ,काँटे से काँटा निकालने का कौशल भी आ ही जएगा.

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