शुक्रवार, दिसंबर 17

जीवन जैसे खेल क्रिकेट का

जीवन जैसे खेल क्रिकेट का

द्वंद्वों सम दो टीमें जिसमें
प्रतिद्वंदिता हर पल इसमें,
चारों ओर घिरे फील्डर
शुभचिंतक हैं पैवेलियन में !

सँग जो साथी दूर खड़ा है,
विकेट कीपर का डर बड़ा है.

परिस्थितियों की गेंदें आतीं
कितनी खुद को नहीं सुहातीं,
फिर भी चौके, छक्के मारें
जीवन कला यही सिखाती !

अनिता निहालानी
१७ दिसंबर २०१०

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी पोस्ट की चर्चा कल (18-12-2010 ) शनिवार के चर्चा मंच पर भी है ...अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव दे कर मार्गदर्शन करें ...आभार .

    http://charchamanch.uchcharan.com/

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  2. सँग जो साथी दूर खड़ा है,
    विकेट कीपर का डर बड़ा है

    क्रिकेट के खेल के माध्यम से जीवन संघर्ष का बहुत सटीक विवेचन..बहुत सुन्दर प्रस्तुति

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  3. खेल के माध्यम से जीवन की सच्चाईयां अभिव्यक्त करती सुन्दर रचना!

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