रिश्ता इन दोनों में क्या है
सुंदर यह जग, है अति सुंदर
कुदरत का हर रूप मनोहर,
सुंदरतम पर एक चितेरा
प्रीत सुरभि का पुंज घनेरा !
थम मत जायें बाहर-बाहर
एक बार तो झाँकें भीतर,
कब टूटेगा जीवन का क्रम
साथ-साथ मिटे मृत्यु का भ्रम !
आना-जाना,हँसना-रोना
मरना-जीना, पाना-खोना,
कैसा अद्भुत महाजाल है
मनमोहनी उसकी चाल है !
भीतर राज गुह्यतम बसते
एक वृक्ष पर दोनों रहते,
तोड़ आवरण जानें क्या है
रिश्ता इन दोनों में क्या है ?
अनिता निहालानी
०९ दिसंबर २०१०
भीतर राज गुह्यतम बसते
जवाब देंहटाएंएक वृक्ष पर दोनों रहते,
विरोधाभासी रिश्तो को बखूबी चित्रित किया है
गहन अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंभीतर राज गुह्यतम बसते
जवाब देंहटाएंएक वृक्ष पर दोनों रहते,
तोड़ आवरण जानें क्या है
रिश्ता इन दोनों में क्या है ?
गहन जीवन दर्शन को रेखांकित करती भावपूर्ण प्रभावी प्रस्तुति..आभार
आना-जाना, हंसना-रोना
जवाब देंहटाएंमरना-जीना, पाना-खोना,
कैसा अद्भुत महाजाल है
मनमोहनी उसकी चाल है I
सुंदर भावाभिव्यक्ति।
अनीता जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता......भीतर और बाहर का अनोखा संगम......ये पंक्तियाँ बहुत पसंद आयीं-
आना-जाना, हंसना-रोना
मरना-जीना, पाना-खोना,
कैसा अद्भुत महाजाल है
मनमोहनी उसकी चाल है I