नए वर्ष की कविता
नए वर्ष में आओ, नए नए हो जाएँ
नया सृजन हो, नए गीत, कुछ नए तराने गाएँ !
नए विचारों से महकाएँ, आंगन अपने मन का
नए भावों से भरे हृदय को, दामन इस जीवन का !
नई सोच हो, मन मुक्त हो, पूर्वाग्रह से अब तो
नई कोंपलें फूटें उर में, नए रास्ते अब तो !
नए शब्द हों, नए इरादे, नया हो क्रम जीवन का
नई पुलक हो, नई हँसी हो, नया राग हो मन का !
नए साल में, नए ताल में, नया नया सुर छेड़ें
नई थाप हो, नई धुनें हों, नूतन प्रीत उलेड़ें
अब तक सच माना था जिसको, परखें उस जीवन को
जो असत्य हो, झट से तज दें, झिझकें न पल भर को !
अनिता निहालानी
२१ दिसंबर २०१०
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंअब तक सच माना था जिसको, परखें उस जीवन को
जो असत्य हो, झट से तज दें, झिझकें न पल भर को !
एक ऐसी कविता जो कभी पुरानी नहीं पड़ सकती.
जवाब देंहटाएंनए वर्ष की बहुत बहुत बधाई.