गुरुवार, मार्च 21

श्याम रंग में भीगा अंतर



श्याम रंग में भीगा अंतर


रंग डाला किस रंग में तूने
कान्हा रंग रसिया है मन का,
राधा रंगी थी मीरा जिसमें
हुआ सुवासित कण-कण तन का !

श्याम रंग में भीगा अंतर
भीगी मन की धानी चूनर,
कोरा जिसको कर डाला था
विरह नीर में डुबो डुबोकर !

जन्मों से से जो सूखा सा था
जैसे कोई मरुथल बंजर,
कैसे हरा-भरा खिलता है
श्याम रंग में रंग के अंतर !

एक डगर थी सूनी जिस पर
पनघट नजर नहीं आता था,
काँटों में उलझा था दामन
श्यामल रंग से न नाता था !

भर पिचकारी तन पे मारी
सतरंगी सी पड़ी फुहार,
शीतल पोर पोर हो झूमा
फगुनाई की बही बयार !

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर फगुनाई बयार ....

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  2. श्याम रंग कई तरह से विद्रोह का प्रतीक भी है। विद्रोह आभिजात्य मान्यताओं का, गौर वर्ण का। फगुनाई की बयार का आनंद इस विद्रोह में भी है।

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    1. श्याम रंग तो सतरंगी है..सही कहा है आपने उनमें से एक रंग विद्रोह का है..आभार !

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  3. बहुत खूब ......होली की अग्रिम शुभकामनायें।

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    1. इमरान, आपको भी रंगों का उत्सव मुबारक हो..

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  4. जन्मों से से जो सूखा सा था
    जैसे कोई मरुथल बंजर,
    कैसे हरा-भरा खिलता है
    श्याम रंग में रंग के अंतर !
    श्याम रंग में रंग गया जीवन...सुन्दर रचना... आभार...

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  5. श्याम रंग में रंगी चुनरिया ,अब रंग दूजो भावे न ,

    जिन नैनं में श्याम बसें हैं ,और दूसरो आवे न .

    प्रेम का सात्विक ईश्वरीय प्रेम का रंग पक्का होता है .फाग मुबारक .

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  6. फगुनाई बयार के साथ रंगों के छींटे-मुबारक हों अनिता जी !

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