होलिका दहन से होली मिलन
तक
बासंती मौसम बौराया
मन मदमस्त हुआ मुस्काया,
पवन फागुनी बही है जबसे
अंतर में उल्लास समाया !
रंगों ने फिर दिया निमंत्रण
मुक्त हो रहो तोड़ो बंधन,
जल जाएँ सब क्लेश हृदय के
अगन होलिका की है पावन !
जली होलिका जैसे उस दिन
जलें सभी संशय हर उर के,
शेष रहे प्रहलाद खुशी का
मिलन घटे सबसे जी भर के !
उड़े गुलाल, अबीर फिजां में
जैसे हल्का मन उड़ जाये,
रंगों के बहाने जाकर
प्रियतम का संदेशा लाए !
सीमित हैं मानव के रंग
पर अनंत मधुमास का यौवन,
थक कर थम जाता है उत्सव
चलता रहता उसका नर्तन !
वाह ... बहुत ही बढिया ...
जवाब देंहटाएंसीमित हैं मानव के रंग
जवाब देंहटाएंपर अनंत मधुमास का यौवन,
थक कर थम जाता है उत्सव
चलता रहता उसका नर्तन !बहुत बढ़िया ,होली की शुभकामनाएं
latest post धर्म क्या है ?
बहुत सुन्दर प्रस्तुति........होली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंसदा जी, इमरान, कालीपद जी, यशवंत जी, व वन्दना जी, आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंजल जाएँ सब क्लेश हृदय के
जवाब देंहटाएंअगन होलिका की है पावन !
अद्भुत रचना ...सकारात्मकता से लबरेज .......!!
होली की अनंत शुभकामनायें ..
शोभनम
जवाब देंहटाएंhttps://www.hindipejankari.com/2021/03/blog-post_13.html
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