मंगलवार, अगस्त 23

मुक्ति का गीत


मुक्ति का गीत


मुक्त हूँ ! इस पल ! यहाँ पर !


मुक्त हूँ हर बात से उस 

हर घड़ी जो टोकती थी,

याद कोई जो बसी थी 

भय बताकर टोकती थी !


मुक्त हूँ नित भीत से भी 

तर्क के उन सीखचों से, 

तोड़ दी दीवार हर वह 

बोझ जिनका था सताता !


मुक्त हूँ ! इस पल ! यहाँ पर !


नील अम्बर सामने था

किंतु दिल यह उड़ न पाता,

 बांध ली थीं साँकलें कुछ  

क़ैद मन को कर लिया था !


मुक्त हूँ हर बात से उस 

हृदय को खिलने न देती 

सहज अपनापन जगाकर 

जो कभी मिलने न देती 


मुक्त  हूँ ! इस पल ! यहाँ पर !

14 टिप्‍पणियां:




  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 24 अगस्त 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम

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  2. मुक्ति का गीत..
    नील अम्बर सामने था
    किंतु दिल यह उड़ न पाता,
    बांध ली थीं साँकलें कुछ
    क़ैद मन को कर लिया था !
    . वाह दीदी गहनतम भाव ।

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  3. स्वागत व आभार ज्योति जी!

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  4. बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण रचना

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  5. बहुत सुंदर भाव, मुक्ति का भाव बहुत सुख होता है

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