चंद फूल खिला के देखो तो कभी
कोई दरख्त होकर देखो तो कभी
जमीं से जुड़कर भी देखो तो कभी,
रगों में दौड़ती फिरेगी हरियाली
चंद फूल खिला के देखो तो कभी !
हवा में झूमकर जो गुनगुनाओ
गगन को आँख भर देखो तो कभी,
कोंपलें फूट जाएँगी उमंगों की
न कोई आस बचेगी देखो तो कभी !
नहाके बारिश में सिहरो सर्दियों में
बहा के खुशबुएँ अंतर को बिखर जाने दो,
चहकते खग की मानिंद फिजाओं में
तिरछे तिरके जरा देखो तो कभी !
सुभानाल्लाह...........बहुत खूबसूरत|
जवाब देंहटाएंवाह , बहुत खूबसूरत रचना ... तरोताज़ा स करती हुई
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत !
जवाब देंहटाएंसादर
हवा में झूमकर जो गुनगुनाओ
जवाब देंहटाएंगगन को आँख भर देखो तो कभी,
कोंपलें फूट जाएँगी उमंगों की
न कोई आस बचेगी देखो तो कभी !
bahut khoob ....
jee lo jeevan kuchh is tarah bhi ..
rom-rom mahakaa ke dekho to kabhi ....
बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
जवाब देंहटाएंbahut sundar abhilasha.... sundar rachna...
जवाब देंहटाएंbahut khubsurat...
जवाब देंहटाएंरगों में दौड़ती फिरेगी हरियाली
जवाब देंहटाएंचंद फूल खिला के देखो तो कभी !
सटीक ...
रगों में दौड़ती फिरेगी हरियाली
जवाब देंहटाएंचंद फूल खिला के देखो तो कभी !
बिल्कुल मन की बात। एक हंसते फूर को देख कर पूरा तन-मन हरा हो जाता है।
नहाके बारिश में सिहरो सर्दियों में
जवाब देंहटाएंबहा के खुशबुएँ अंतर को बिखर जाने दो,
चहकते खग की मानिंद फिजाओं में
तिरछे तिरके जरा देखो तो कभी !बहुत ही खुबसूरत....
लाजवाब.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब..बहुत ही खूब..
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