तू उस पार दिव्य आलोकित
जन्म है दुःख, दुःख है मरण
जरा है दुःख, दुःख है क्षरण
जो थोड़ा सा भी सुख मिलता
खो जाता, हो जाता झरण !
भीतर कोई दर्द है गहरा
एक चुभन सी टीस उठाती,
रह-रह कर लघु लहर कोई
भीतर कोई पीर जगाती !
जीवन कितने भेद छिपाए
रोज उघाड़े घाव अदेखे,
जाने कितना बोझ उठाना
जाने क्या लिखा है लेखे !
अहम् की दीवार खड़ी है
मेरे-तेरे मध्य, ओ प्रियतम !
बाधा यह इक मात्र बड़ी है
मिलन न होता दूर हैं हम-तुम !
तू उस पार दिव्य आलोकित
सदा निमंत्रण भेज रहा है,
घन तमिस्र के सूनेपन में
मन ही जिसे सहेज रहा है !
कैसा सुंदर पल होगा वह
यह दीवार भी ढह जायेगी,
युगों-युगों से जो मन में है
पीड़ा विरह की बह जायेगी !
बहुत सुन्दर ||
जवाब देंहटाएंदो सप्ताह के प्रवास के बाद
संयत हो पाया हूँ ||
बधाई ||
जीवन कितने भेद छिपाए
जवाब देंहटाएंरोज उघाड़े घाव अदेखे,
जाने कितना बोझ उठाना
जाने क्या लिखा है लेखे !
इन्हीं उठा-पटक के बीच सृजन का निरन्तर क्रम भी चलता रहता है।
अहम् की दिवार का ढहना कितने अकल्पित सुखों को सिरजेगा... इसकी कल्पना नहीं की जा सकती!
जवाब देंहटाएंअहम् की दीवार खड़ी है
जवाब देंहटाएंमेरे-तेरे मध्य, ओ प्रियतम !
बाधा यह इक मात्र बड़ी है
मिलन न होता दूर हैं हम-तुम !
कविवर रविन्द्र की याद दिला गयी ये पोस्ट............बहुत ही सुन्दर......और लफ्ज़ नहीं बचे कुछ कहने को|
अहम् की दीवार खड़ी है
जवाब देंहटाएंमेरे-तेरे मध्य, ओ प्रियतम !
बाधा यह इक मात्र बड़ी है
मिलन न होता दूर हैं हम-तुम !
मिलन के लिए यह दीवार गिरानी होगी सुंदर रचना ........
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना.....
जवाब देंहटाएंकैसा सुंदर पल होगा वह
जवाब देंहटाएंयह दीवार भी ढह जायेगी,
युगों-युगों से जो मन में है
पीड़ा विरह की बह जायेगी !
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ..सुन्दर शब्दों का चयन..!
मेरे ब्लॉग और रचना की तारीफ़ के लिये आपका
दिल से शुक्रिया ! आपका आगे भी हमेशा हार्दिक स्वागत रहेगा ...!
काश ये संभव हो पाये।
जवाब देंहटाएंवन्दना जी, यह संभव होगा ही...एक न एक दिन..रविकर जी, मनोज जी, इमरान जी, सुनील जी, अनुपमा जी, सुषमा जी आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंकैसा सुंदर पल होगा वह
जवाब देंहटाएंयह दीवार भी ढह जायेगी,
युगों-युगों से जो मन में है
पीड़ा विरह की बह जायेगी !
पीड़ा बहती कहाँ है ..निरंतर बढ़ती ही जाती है ....!!
बहुत सुंदर भाव ...
अनुपमा जी, बढ़ते बढ़ते यह पीड़ा ही एक दिन द्वार खोल देती है...
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