मंगलवार, मार्च 26

होलिका दहन से होली मिलन तक


होलिका दहन से होली मिलन तक



बासंती मौसम बौराया
मन मदमस्त हुआ मुस्काया,
पवन फागुनी बही है जबसे
अंतर में उल्लास समाया !

रंगों ने फिर दिया निमंत्रण
मुक्त हो रहो तोड़ो बंधन,
जल जाएँ सब क्लेश हृदय के
अगन होलिका की है पावन !

जली होलिका जैसे उस दिन
जलें सभी संशय हर उर के,
शेष रहे प्रहलाद खुशी का
मिलन घटे सबसे जी भर के !

उड़े गुलाल, अबीर फिजां में
जैसे हल्का मन उड़ जाये,
रंगों के बहाने जाकर
प्रियतम का संदेशा लाए !

सीमित हैं मानव के रंग
पर अनंत मधुमास का यौवन,
थक कर थम जाता है उत्सव
चलता रहता उसका नर्तन !

7 टिप्‍पणियां:

  1. सीमित हैं मानव के रंग
    पर अनंत मधुमास का यौवन,
    थक कर थम जाता है उत्सव
    चलता रहता उसका नर्तन !बहुत बढ़िया ,होली की शुभकामनाएं
    latest post धर्म क्या है ?

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति........होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  3. सदा जी, इमरान, कालीपद जी, यशवंत जी, व वन्दना जी, आप सभी का स्वागत व आभार !

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  4. जल जाएँ सब क्लेश हृदय के
    अगन होलिका की है पावन !

    अद्भुत रचना ...सकारात्मकता से लबरेज .......!!
    होली की अनंत शुभकामनायें ..

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