शुक्रवार, सितंबर 16

शुभ दीपक एक जलाना है

शुभ दीपक एक जलाना है


छँट जाएगा घोर अँधेरा 

उहापोह, उलझन का डेरा, 

थोड़ा सा स्नेह जगाना है 

शुभ दीपक एक जलाना है !


एक से फिर अनेक जल सकते

ज्योति की आकर बन सकते,

अनथक पथ चलते जाना है 

मग दीपक एक जलाना है !


फूल खिलाये हैं जिसने नित 

नीरवता गूँजे जिसके मित,

उसका इक गीत सुनाना है 

यश दीपक एक जलाना है !


करुणा, प्रेम, तपस, प्रार्थना 

दिलों में सोयी मधुर भावना, 

हौले से  पुनः जगाना है 

जय दीपक एक जलाना है !


दीप जल रहे जो नयनों में 

सुहास झरे मृदुल बयनों में, 

ऐसा इक राग सुनाना है 

हित दीपक एक जलाना है !


वचन कभी जो शर से चुभते 

निज अंतर  का भी बल हरते,

ना ऐसा रुख अपनाना है 

 मधु दीपक एक जलाना है !



9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बहुत आभार शास्त्री जी !

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  2. दीप जल रहे जो नयनों में

    सुहास झरे मृदुल बयनों में,

    ऐसा इक राग सुनाना है

    हित दीपक एक जलाना है !

    सुंदर भाव लिए सुंदर सृजन।

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  3. करुणा, प्रेम, तपस, प्रार्थना

    दिलों में सोयी मधुर भावना,

    हौले से पुनः जगाना है !

    जय दीपक एक जलाना है ! - खूबसूरत कविता की श्रेष्ठतम पंक्तियाँ! इन पंक्तियों के लिए अंतस्तल से साधुवाद आदरणीया!

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  4. दीप जल रहे जो नयनों में

    सुहास झरे मृदुल बयनों में,

    ऐसा इक राग सुनाना है

    हित दीपक एक जलाना है !..
    बहुत सुंदर सकारात्मक भाव से परिपूर्ण उत्कृष्ट रचना।

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