मंगलवार, मई 10

सफर अब भी वह जारी है


सफर अब भी वह जारी है

अगर दिल में मुहब्बत हो जहाँ जन्नत की क्यारी है
सुकूं तारी सदा रहता यह ऐसी बेकरारी है I

तेरी नजरों से जब देखा यह दुनिया भा गयी मुझको
तेरे पीछे चले थे हम सफर अब भी वह जारी है I

मेरे दिल का हर इक कोना भरा है तेरी यादों से
जहाँ न साथ तेरा हो ऐसा इक पल भी भारी है I

जमाने की निगाहों से सदा जिसने बचाया है
गमों की धूप में वह नीम सी छाँव प्यारी है I

हजारों ढंग सिखलाये तेरी चाहत ने जीने के
सलीका जिंदगी का देख हमसे मौत हारी है I

अनिता निहालानी
१० मई २०११  

11 टिप्‍पणियां:

  1. "मेरे दिल का हर इक कोना भरा है तेरी यादों से
    जहाँ न साथ तेरा हो ऐसा इक पल भी भारी है I"

    क्या बात कही आपने.बहुत अच्छी लगीं यह पंक्तियाँ.

    सादर

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  2. वाह!! बहुत उम्दा...आनन्द आ गया.

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  3. हजारों ढंग सिखलाये तेरी चाहत ने जीने के
    सलीका जिंदगी का देख हमसे मौत हारी है

    दिल से लिखी हुई रचना सीधे दिल में उतरती है। आभार।

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  4. जमाने की निगाहों से सदा जिसने बचाया है
    गमों की धूप में वह नीम सी छाँव प्यारी है I
    सुंदर अहसासों की कोमल अभिव्यक्ति।

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  5. bahut hi sunder rachna ..
    Anita ji -aapke vichar aur vicharon ki abhivyakti dono hi lajawab hain ...!!

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  6. जमाने की निगाहों से सदा जिसने बचाया है
    गमों की धूप में वह नीम सी छाँव प्यारी है I

    हजारों ढंग सिखलाये तेरी चाहत ने जीने के
    सलीका जिंदगी का देख हमसे मौत हारी है I

    बहुत सुंदर अनीता जी बेहद खूबसूरत एहसास. जब तक साँसे बाकी है, सफर भी बाकी है.

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  7. बढिया प्रस्तुति ...........धन्यवाद जी

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  8. बहुत गहरे भाव भर दिए आपने इन चंद शब्दों में ...आपका आभार

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  9. बहुत ख़ूब हर शेर उम्दा.......शानदार |

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  10. मन को छूती है आपकी हर रचना ..आभार

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