गर्मियों की शाम सुंदर
छू रही गालों को शीतल ग्रीष्म की महकी पवन
छा गए अम्बर पे देखो झूमते से श्याम घन
दिवस की अंतिम किरण भी दूर सोने जा रही
सुरमई संध्या सुहानी कोई कोकिल गा रही
कुछ पलों पहले हरे थे वृक्ष काले अब लगें
बादलों के झुण्ड जाने क्या कथा खुद से कहें
छू रही बालों को आके कर रही अठखेलियाँ
जाने किसको छू के आयी लिये नव रंगरेलियाँ
चैन देता है परस और प्यास अंतर में जगाता
दूर बैठा एक चितेरा कूंची नभ पर है चलाता
झूमते पादप हंसें कलियाँ हवा के संग तन
नाचते पीपल के पत्ते खिलखिला गुड़हल मगन
गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी
घास कोमल हरी मानो रेशमी चादर बिछी
है अँधेरा छा गया अब रात की आहट सुनो
दूर हो दिन की थकन अब नींद में सपने बुनो
छा गए अम्बर पे देखो झूमते से श्याम घन
दिवस की अंतिम किरण भी दूर सोने जा रही
सुरमई संध्या सुहानी कोई कोकिल गा रही
कुछ पलों पहले हरे थे वृक्ष काले अब लगें
बादलों के झुण्ड जाने क्या कथा खुद से कहें
छू रही बालों को आके कर रही अठखेलियाँ
जाने किसको छू के आयी लिये नव रंगरेलियाँ
चैन देता है परस और प्यास अंतर में जगाता
दूर बैठा एक चितेरा कूंची नभ पर है चलाता
झूमते पादप हंसें कलियाँ हवा के संग तन
नाचते पीपल के पत्ते खिलखिला गुड़हल मगन
गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी
घास कोमल हरी मानो रेशमी चादर बिछी
है अँधेरा छा गया अब रात की आहट सुनो
दूर हो दिन की थकन अब नींद में सपने बुनो
अनिता निहालानी
१ मई २०११
गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी
जवाब देंहटाएंघास कोमल हरी मानो रेशमी चादर बिछी I...
बहुत भावमयी रचना...मन को आल्हादित करता बहुत सुन्दर शब्द चित्र..आभार
वाकई गर्मियों की शाम का मज़ा ही अलग है, सुन्दर अभिव्यक्ति!
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
झूमते पादप हंसें कलियाँ हवा के संग तन
जवाब देंहटाएंनाचते पीपल के पत्ते खिलखिला गुड़हल मगन
गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी
घास कोमल हरी मानो रेशमी चादर बिछी.
बहुत जीवंत चित्रण गर्मियों का सुंदर एवं भावपूर्ण. रस्बिभोर कर गयी आपकी कविता.
गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी
जवाब देंहटाएंघास कोमल हरी मानो रेशमी चादर बिछी
है अँधेरा छा गया अब रात की आहट सुनो
दूर हो दिन की थकन अब नींद में सपने बुनो
बहुत रोचक ।
गर्मियों की शाम सुंदर प्रीत के सुर से सजी
जवाब देंहटाएंघास कोमल हरी मानो रेशमी चादर बिछी
बहुत ही अच्छी रचना....सुंदर भावों के साथ...
प्रकृति की सुन्दरता का मनमोहक चित्रण किया है .........सुन्दर|
जवाब देंहटाएंआल्हादित करता हुआ ..सुन्दर अभिव्यक्ति..
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