रविवार, अप्रैल 12

अमर आत्मा का सुगीत फिर


अमर आत्मा का सुगीत फिर 


हम अनुशासन पर्व मनाएं 
भारत की अस्मिता बचाएं,
अमर आत्मा का सुगीत फिर 
मिलकर गोविन्द संग गायें !

मृत्यु से नहीं डरे भारती 
गीत प्रलय के नित्य सुनाएँ,
आज उसी गौरव गाथा को 
निज शक्ति से फिर दोहराएं !

युग परिवर्तन का चले यज्ञ  
दे आहुति कर्त्तव्य निभाएं, 
बार-बार इस भू पर लौटें 
मात प्रकृति को शीश झुकाएँ  !

आयु दीर्घ हो यही न माँगें 
भीतर गहरा बोध जगाएं, 
आत्मशक्ति का करें जागरण 
घर-घर दीपक योग जलाएं !

अनुशासन का पालन करके 
दुनिया को नव मार्ग सुझाएँ, 
भारत की संस्कृति अपूर्व है 
इस सच को जीकर दिखलाएँ !


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