दीप जलाकर भरें उजाला
इक ही हो संकल्प हृदय में
एक भावना हर अंतर में,
दीप जलाकर भरें उजाला
घर-घर के दर पर भारत में !
दूर रहे हर तम की छाया
इसी आस में दीप जलाया,
भय का तम ना घेरे मन को
सबने गीत विजय का गाया !
विपदा को हम सीख बना लें
शुभता को दिल से अपना लें,
काल ठहर कर इंगित करता
‘देने’ का ही धर्म जगा लें !
कुदरत निशदिन लुटा रही है
प्राणवायु, जीवन जल, पावक,
मोल लगाया इनका भी अब
जाग तुरन्त ओ मानव जाग !
मिलजुल कर रहना यदि सीखें
कोई नहीं रहेगा भूखा,
धरा इक परिवार है सुंदर
सत्य अटल यह सूत्र अनोखा !
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंहम सभी देशवासी मिल कर प्रधानमन्त्री की आवाज पर
अपने घर के द्वार पर 9 मिनट तक एक दीप प्रज्वलित जरूर करें।
स्वागत व आभार शास्त्री जी !
जवाब देंहटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (7-4-2020 ) को " मन का दीया "( चर्चा अंक-3664) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा