रविवार, अप्रैल 5

दीप जलाकर भरें उजाला


दीप जलाकर भरें उजाला 


 इक ही हो संकल्प हृदय में 
एक भावना हर अंतर में, 
दीप जलाकर भरें उजाला 
घर-घर के दर पर भारत में !

दूर रहे हर तम की छाया 
इसी आस में दीप जलाया,
भय का तम ना घेरे मन को 
सबने गीत विजय का गाया !

विपदा को हम सीख बना लें 
शुभता को दिल से अपना लें, 
काल ठहर कर इंगित करता 
‘देने’ का ही धर्म जगा लें !

कुदरत निशदिन लुटा रही है 
प्राणवायु, जीवन जल, पावक,
मोल लगाया इनका भी अब 
जाग तुरन्त ओ मानव जाग !

मिलजुल कर रहना यदि सीखें 
कोई नहीं रहेगा भूखा, 
धरा इक परिवार है सुंदर 
सत्य अटल यह सूत्र अनोखा !

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर।
    हम सभी देशवासी मिल कर प्रधानमन्त्री की आवाज पर
    अपने घर के द्वार पर 9 मिनट तक एक दीप प्रज्वलित जरूर करें।

    जवाब देंहटाएं
  2. स्वागत व आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (7-4-2020 ) को " मन का दीया "( चर्चा अंक-3664) पर भी होगी,
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

    जवाब देंहटाएं