कौन हैं वह
सिंह जैसा शौर्य पाया है
माँ जैसी करुणा अंतर में,
धैर्य धरे दृढ चट्टानों सा
प्रामाणिकता है शब्दों में !
अन्याय कभी सहन न होता
दीनों की रक्षा हित आए,
सारे जग में डंका बजता
दोष शत्रु भी ढूंढ न पाए !
जन-जन को आधार दिया है
भारत का सम्मान बढ़ाया,
लेने पड़े कठोर निर्णय पर
मस्तक पर इक बल न आया !
कर्मठ जैसे वीर योद्धा
प्रहरी सजग समर्पित सेवक,
कौन बखाने व्यक्तित्व महान
निज स्वार्थ को आये तजकर !
उर में जग कल्याण भावना
सारा जग ही लोहा माने,
आशा भरी हुई नजरों से
जैसे उनकी ओर निहारे !
बहुत सुन्दर और सार्थक
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार शास्त्री जी !
हटाएंदेश में ऐसे अनन्य सन्यासी जी राष्ट्र की कल्पना को सार्थक करते हैं ...
जवाब देंहटाएंओजस्वी रचना ...
सही कहा है आपने, स्वागत व आभार !
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