शब्द जाल
शब्दों के जाल में मन का पंछी फंस गया है
मात्र शब्द हैं वे पर दंश उनका डस गया है
शब्द हजार हों या लाख
फिर भी उनकी सीमा है
मौन हर हाल में उनसे बड़ा है
हाँ, स्वर उसका अति धीमा है
शब्दों से ज्ञान मिलेगा
कितना बड़ा भ्रमजाल फैलाया है
ज्ञान अनंत है भला चन्द शब्दों में कहीं वह समाया है
तभी ऐसा कहा जा सकता है
हैं ‘राम’ में तीन लोक समाए
ताकि शब्दों के जाल से मुक्त हुआ जाए !
ऐसा ही होता है शब्द जाल
जवाब देंहटाएंस्वागत व आभार शास्त्री जी !
हटाएंशब्द ज्ञान को सिर्फ विस्तार दे सकते हैं, सम्पूर्ण ज्ञान तो अनंत में कहीं है।
जवाब देंहटाएंसादर