रविवार, मई 3

उसका होना

उसका होना


कोई रेशमी सा ख्याल या 
इंद्रधनुष अटका अम्बर में, 
मादक मीठी तान गूँजती 
कोमल कमल खिला सर्वर में !

कोई ज्यों आवाज दे रहा 
हरियाली सी बिछी डगर पर,
मखमली पगत्राण धरे हों, 
या फूलों के दल हों पथ पर ! 

जैसे कोई लड़ी गीत की
या कोई अनकही कहानी,
रस्ता दिखलाती जाती हो
झरनों में जो बसी रवानी !

हौले हौले से छूती हो, 
कोई अनजानी फुहार या, 
धीमे-धीमे से बहती हो, 
पूरब की मीठी बयार या !

मेघों में जा छुपा सूर्य क्या, 
कोई तृप्ति शाल ओढ़ाकर,
तकता हो बनकर आशीषें, 
जीवन का सुअर्थ महकाकर !

कोई अपने हाथों से आ, 
सहला जाता उर का पाखी, 
पंखों में उड़ान भर जाता, 
देकर खबर किसी मंजिल की !

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