जयहिंद
‘जयहिंद’ का नारा गूंजा जाग उठे भारतवासी
नहीं सहेंगे पराधीनता लगने दो चाहे फांसी !
तुम भारत के पुत्र अनोखे फौलादी दिल को ढाले
खून के बदले ही आजादी मिल सकती कहने वाले !
बापू के थे निकट खड़े फिर भी उनके साथ लड़े
दिल झुकता था कदमों पर कर्तव्य पर कहीं बड़े !
कैसे अद्भुत सेनानी साम्राज्य से भिड़ने निकले
‘दिल्ली चलो’ का नारा दे सँग सेना लड़ने निकले !
भारत गौरवान्वित तुमसे ‘आजाद हिंद फ़ौज’ निर्माता
कभी कभी ही किसी हृदय में इतना साहस भर पाता !
तुम्हें याद करता भारत अचरज भरी निगाहों से
जिस माटी में तुम खेले ध्वनि आती उन राहों से !
‘जय हिंद’ की इक पुकार पर हर भारतीय डोल उठे
देशभक्ति जो सोयी भीतर ले अंगडाई बोल उठे !
अनिता निहालानी
२४ जनवरी २०११
तुम्हें याद करता भारत अचरज भरी निगाहों से
जवाब देंहटाएंजिस माटी में तुम खेले ध्वनि आती उन राहों से !
बहुत प्रेरक और भावपूर्ण..नेता जी को शत शत नमन..जयहिंद
अच्छा लगा ये प्रस्तुती पढ़कर. अच्छी देश भक्ति से ओत प्रोत कविता.जयहिंद नेता जी को नमन
जवाब देंहटाएंअनीता जी,
जवाब देंहटाएंदेशभक्ति से ओत-प्रोत है ये पोस्ट......आपको गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें |