मंगलवार, जुलाई 24

रोशन रूह को करने का


रोशन रूह को करने का

लो आया फिर पाक महीना
रहमत अल्लाह की पाने,
जीवन में लाकर अनुशासन
बरकत हर घर में लाने !

लाया है रमजान महीना
एक और मौका खिदमत का,
देह को पीछे रख कुछ दिन
रोशन रूह को करने का !

दुनिया रोशन होती आयी  
सदा खुदा के बन्दों से,
इक जरिया है शुभ रमजान
कैसे प्रेम जताएं उनसे !

रहमत सदा बरसती आयी
इंसा ही उलझा रहता,
अब खाली होकर जो बैठे
झोली झोली नूर बरसता !

जिम्मेदारी जो भी अपनी
उसकी याद दिलाता है
जिनको जो भी कमी खटकती
औरों से दिलवाता है !

दान, धर्म को दे बढ़ावा
रोजा करता है तन हल्का,
हैं इसकी हजार नेमतें
तोबा करने से मन हल्का !

11 टिप्‍पणियां:

  1. रहमत सदा बरसती आयी
    इंसा ही उलझा रहता,
    अब खाली होकर जो बैठे
    झोली झोली नूर बरसता !


    लाया है रमजान महीना
    एक और मौका खिदमत का,
    देह को पीछे रख कुछ दिन
    रोशन रूह को करने का !

    बहुत ही सुंदर ...
    शुभकामनाएँ !!

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  2. मेरी भी रूह रोशन हुई ...सुन्दर रचना.

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  3. हैं इसकी हजार नेमतें
    तोबा करने से मन हल्का !
    बहुत सुंदर प्रस्तुति ...अनीता जी ...!!

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  4. लाया है रमजान महीना
    एक और मौका खिदमत का,
    देह को पीछे रख कुछ दिन
    रोशन रूह को करने का !

    सुन्दर....

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  5. शिवनाथ जी, संतोष कुमार जी, शालिनी जी, पूनम जी, व अनुपमा जी आप सभी का स्वागत व आभार!

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  6. बहुत ही खूबसूरती से आपने रमजान का ज़िक्र किया है......रमजान मुबारक।

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  7. इस पाक महीने को आपने इस रचना में बहुत ही विलक्षण तरीक़े से उसकी सारी खूबियों के साथ समाहित किया है}

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    उत्तर
    1. मनोज जी, बहुत बहुत आभार ! आजकल अखबारों में लगभग रोज ही रमजान के बारे में कोई न कोई बात होती है, मुझे भी इससे कुछ कहने की प्रेरणा हुई.

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  8. खिदमत का मौका जाया नहीं जाना चाहिए..हम भी कर रहे हैं..सुन्दर लिखा है..

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