एक कुमारी कन्या जैसे 
कौन कहे जाता है भीतर 
चुकती नहीं ऊर्जा जिसकी, 
कौन गढ़े जाता है नूतन 
प्यास नहीं बुझती उसकी !
एक कुमारी कन्या जैसे
है अभीप्सा शिव वरने की, 
तृप्त नहीं होता है घट यह
बनी लालसा है भरने की !
एक अनंत स्रोत है जिससे 
नित नवीन भाव जगते हैं, 
पल भर कोई थम जाता जब 
अमृत घट बरबस बहते हैं ! 
शब्द उसी के भाव उसी के 
जाने क्या रचना वह चाहे, 
कलम हाथ में कोरा कागज 
सहज
गीत इक रचता जाये 
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सुंदर भाव , लेखन व प्रस्तुति , आ. धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
सुन्दर अनुभूति !
जवाब देंहटाएंआशीष जी व प्रतिभा जी, स्वागत व आभार !
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