अभी तो जिंदा हैं हम
दूर खड़ी है अभी तो मौत
जब आएगी तब आयेगी
अभी तो जी लेने दो
लोग मरते हैं उन्हें मरने दो
अभी तो जिंदा हैं हम
अभी से क्यों करें उसका गम
अभी होश में आने को मत कहो
अभी तो देखने दो सपने
अभी तो झटक डालो यह बात भी
अभी तो दिन है न कहो
कभी आएगी रात भी
ये जलती हुई चिताएं औरों की
हैं
ये धूल में दबी देह अपनी तो नहीं
जो राख हो गये वे दूसरे हैं
अभी तो खेलने खाने के दिन
हमारे हैं....
सही कहा ..व्यर्थ भय क्यों.
जवाब देंहटाएंये जलती हुई चिताएं औरों की हैं
जवाब देंहटाएंये धूल में दबी देह अपनी तो नहीं
जो राख हो गये वे दूसरे हैं
अभी तो खेलने खाने के दिन हमारे हैं....
...वाह, क्या ज़ज्बा है...बहुत प्रेरक और उत्कृष्ट प्रस्तुति...
प्रतिभाजी, निहार जी व कैलाश जी, आप सभी का स्वागत व आभार !
हटाएंजब तक अपने पर नआ पड़े इंसान यही सोचता है - देख कर सावधान हो जाए तो क्या बात है !
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने प्रतिभा जी
हटाएंसुंदर रचना
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