रविवार, दिसंबर 5

सदा प्रेम की यही कहानी

सदा प्रेम की यही कहानी

जितनी प्रीत पुरानी होगी
रंग उतना गहनतम होगा,
बंधन जितना पहचाना हो
मन उतना ही ठहरा होगा !

खोज नए की, चाह पुरानी
सदा प्रेम की यही कहानी !

जितना साथ चलेंगे मीत
रस्ता उतना आसां होगा,
जानीबूझी डगर लगेगी
प्रियतम यदि मेहरबां होगा !

नयन थमे हैं, अटकी वाणी
अकथ प्रेम की अजब बयानी !

कदमों के नीचे है मंजिल
पल भर को तो रुकना होगा,
ऊपर उठना है यदि उसको
पहले दर पर झुकना होगा !

याद उसी की लगे सुहानी
सदा वफ़ा की यही कहानी !

जलवा हर सूं है उसका ही
तुझे कहीं कब जाना होगा ,
नयन मूंद ले थम के भीतर
साथ उसी का पाना होगा !

श्वासों में उसी की रवानी
है अबूझ प्रेमी की बानी  !




अनिता निहालानी
५ दिसंबर २०१०

4 टिप्‍पणियां:

  1. खोज नए की, चाह पुरानी
    सदा प्रेम की यही कहानी !

    सुन्दर अभिव्यक्ति.

    सुन्दर लेखनी के लिए साधुवाद.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर रचना ..

    .जितना साथ चलेंगे राही
    रस्ता उतना आसां होगा,
    जानीबूझी डगर लगेगी
    साथ अगर मेहरबां होगा

    बहुत सटीक ...

    जवाब देंहटाएं
  3. ऊपर उठना है यदि उसको
    पहिले दर पे झुकना होगा
    लाख टके की बात है। सुन्दर भावाभिव्यक्ति\आभार!

    जवाब देंहटाएं
  4. अनीता जी,

    शाश्वत प्रेम की अनूठी अभीव्यक्ति.......बहुत खुबसूरत भाव....ये पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगीं.....

    जितनी प्रीत पुरानी होगी
    रंग उतना ही गहरा होगा,
    बंधन जितना पहचाना हो
    मन उतना ही ठहरा होगा !

    कदमों के नीचे है मंजिल
    पल भर को तो रुकना होगा,
    ऊपर उठना है यदि उसको
    पहले दर पर झुकना होगा !

    जवाब देंहटाएं