स्वतन्त्रता दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें
आजादी ! आजादी ! आजादी !
मांग है सबकी आजादी,
कीमत देनी पड़ती सबको
फिर भी चाहें आजादी !
नन्हा बालक कसमसाता
हो मुक्त बाँहों से जाने,
किशोर एक विद्रोह कर रहा
माता-पिता के हर नियम से !
नहीं किसी का रोब सहेंगे
तोड़-फोड़ कर यही दिखाते,
हड़तालों से और नारों से
अपनी जो आवाज सुनाते !
इस आजादी में खतरे हैं
बंधन की अपनी मर्यादा,
एक और आजादी भी है
जब बंधन में भी मुक्त सदा !
ऊपर का बंधन तो भ्रम है
मन अदृश्य जाल में कैदी,
उस जाल को न खोला तो
ऊपर की मुक्ति भी झूठी !
छोड़-छाड सब भाग गया जो
सन्यासी जो मुक्त हुआ है,
मन के हाथों बंधा है अब भी
उसको केवल भ्रम हुआ है !
उस असीम की चाह बुलाती
मानव कैद का अनुभव करता,
निमित्त बनता बाहरी बंधन
असल में उसका मन बांधता !
जिसका रूप अनंत हो व्यापक
कैसे वह फिर कैद रहे,
खुला समुन्दर जैसा है जो
क्योंकर सीमाओं में बहे !
मुक्ति का संदेश दे रहे
खुले व्योम में उड़ते पंछी,
मत बांधो पिंजर में मन को
गा गा गीत सुनाते पंछी !
जिसके लिये गगन भी कम है
उसे कैद करते हो तन में,
जो उन्मुक्त उड़ान चाहता
कैसे वह सिमटेगा मन में !
पीड़ा यही, यही दुःख साले
सारे बंधन तोड़ना चाहे,
लेकिन होती भूल यहाँ है
असली बंधन न पहचाने !
स्वाधीनता दिवस की असीम शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसार्थक लेखन .... उम्दा रचना .....
कल 15/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
सटीक लेखन ... स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं... जय हिन्द !
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना....
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
बहुत बढ़िया सामयिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम्
विभा जी, कविता जी, राजीव जी, ओंकार जी, यश जी, आशीष जी, अभिषेक जी, संध्या जी, कौशल जी आप सभी का स्वागत व आभार !
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