जगे नयना इस जतन में
जगे नयना इस जतन में
शब्द चुन-चुन के सजाए
भाव के दीपक जलाए,
पहर बीते सो न पाए
गीत इक जन्मा था तब !
कुछ घटेगा आस मन में
तम छंटेगा इस चमन में,
जगे नयना इस जतन में
प्रीत इक जन्मी थी तब !
है नहीं... वही तो है
शै दिखे... यही तो है,
ढूँढें जिसे.. कहीं तो है
विश्वास इक जन्मा था तब !
बहुत सुंदर एवं भावपूर्ण रचना.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : बदलता तकनीक और हम
भावमय करते शब्दों का संगम ....
जवाब देंहटाएंराजीव जी व सदा जी, स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंलजवाब पंक्तियां उत्कृष्ट
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