गुरुवार, अगस्त 21

जगे नयना इस जतन में

जगे नयना इस जतन में

शब्द चुन-चुन के सजाए
भाव के दीपक जलाए,
पहर बीते सो न पाए
गीत इक जन्मा था तब !

कुछ घटेगा आस मन में
तम छंटेगा इस चमन में,
जगे नयना इस जतन में
प्रीत इक जन्मी थी तब !

है नहीं... वही तो है
शै दिखे... यही तो है,
 ढूँढें जिसे.. कहीं तो है
विश्वास इक जन्मा था तब !  


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