ये नन्ही नन्ही चिड़ियाएँ
श्वेत और श्याम पर हैं जिनके
चुन-चुन कर लाती है घास की लतरें
छोड़ आती हैं एक घन वृक्ष की
शाखाओं और पत्तियों में
एक नीड़ का फिर निर्माण हो रहा है
सृष्टि चक्र यूँ ही बहा जा रहा है
तांक-झांक करता है काग एक वहाँ आकर
जाने क्यों चिड़ियाएँ अगले ही पल नजर नहीं आतीं
शायद गयी हैं दूर लम्बी उड़ान पर
अथवा तो खोज में किसी कीट या पदार्थ के !
बहुत ही बढ़िया
जवाब देंहटाएंसादर
जीवन यात्रा अनवरत चलती जाए ....!!
जवाब देंहटाएंकल 27/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
यही सृष्टि चक्र... सुन्दर रचना, बधाई.
जवाब देंहटाएंयशवंत जी, अनुपमा जी, माहेश्वरी जी, शबनम जी व रविकर जी आप सभी का स्वागत व आभार !
जवाब देंहटाएंसृष्टि का अनूठा नज़ारा ...सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंधर्म संसद में हंगामा
क्या कहते हैं ये सपने ?
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
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