शनिवार, अगस्त 5

श्रावण की पूनम

श्रावण की पूनम

गगन पर छाए मेघ
लगे हरियाली के अंबार
बेला और मोगरे की सुगंध से सुवासित हुई हवा
आया राखी का त्योहार गाने लगी फिजां !
भाई-बहन के अजस्र निर्मल नेह का अजर स्रोत
सावन की जल धाराओं में ही तो नहीं छुपा है !
श्रावण की पूनम के आते ही
याद आते हैं रंग-बिरंगे धागे
कलाइयों की शोभा बढ़ाते
आरती के शुभ थाल
अक्षत रोली से सजे भाल 
बहनों के दिल से निकलती अनमोल प्रार्थनाएं
मन्त्रों सी पावन और गंगा सी विमल भावनाएँ
चन्द्र ग्रहण कर पायेगा न कम
इस उत्सव की उजास
दिलों में बसा नेह का प्रकाश 
बहन का प्रेम और विश्वास
भाई द्वारा दिए रक्षा के आश्वास  !

15 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " भारतीय छात्र और पूर्ण-अंक “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 07 अगस्त 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.com आप सादर आमंत्रित हैं ,धन्यवाद! "एकलव्य" 

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  3. बहुत सुन्दर ...
    रक्षाबंधन की शुभकामनाएं...

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  4. अनीता जी बहुत बढ़िया लगी आपकी रचना --------

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  5. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (5 -8 -2020 ) को "एक दिन हम बेटियों के नाम" (चर्चा अंक-3784) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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