पिछले दिनों नार्वे में जो नरसंहार हुआ उससे पूरा यूरोप ही नहीं सारा विश्व स्तब्ध है. हिंसा का यह तांडव जल्द से जल्द थमना चाहिए...
अर्थहीन
अर्थहीन
मरना यदि होशोहवास में हो
नातेरिश्तेदारों के मध्य,
एक पूरी उम्र जी लेने के बाद
तभी सार्थक होती है मृत्यु..
यदि बिना कहे चली आये
किसी की गोली पर सवार,
बनाये किसी साजिश का शिकार
तो हत्या होती है,
और हत्या सदा अर्थहीन होती है..
यह अर्थहीन हत्या
डोल रही है
इस धरती पर
हर मुल्क में
जिसका चेहरा इतना विकृत है
कि पहचाना नहीं जाता
बहुरूपिये सी रूप बदल लेती है
यह अर्थहीन हत्या....