बोले मियां लाल बुझक्कड़
अपना हाल बुरा है यारों अपना हाल बुरा
लूट लिया है जग वालों ने दिल का हाल बुरा !
छोटे थे तो घरवालों की खूब धुनाई खाई
विद्यालय में मास्टर जी ने लम्बी छड़ी दिखाई !
इश्क ने मारा भरी जवानी हुई बड़ी रुसवाई
बात बनी जब बनते-बनते घोड़ी थी अकड़ाई !
तब से हम हैं मुफ्त के सेवक धरी रही चतुराई
एक मधुर मुस्कान के हित सारी तनख्वाह लुटाई !
आधा जीवन बीत चुका दुनियादारी न आयी
कटते-कटते कट जायेगी बाकी भी अधियाई !